पूजन एवं पाठ विधि

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स्वस्तिवाचन एवं गणेश पूजन विधि

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स्वस्तिवाचन का उद्देश्य:

स्वस्तिवाचन से वातावरण को शुद्ध, सकारात्मक और दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण किया जाता है। यह विधि पूजा के प्रत्येक भाग को शुद्ध और पवित्र बनाती है, जिससे भगवान का आह्वान ससम्मान किया जा सके।

गणेश पूजन का महत्व:
गणेश जी को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य या पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि पूजा निर्विघ्न संपन्न हो और हर तरह के विघ्न-बाधाओं से रक्षा हो।

जल छिड़क कर पूजा सामग्री की पवित्रता सुनिश्चित करें
गंगाजल से समस्त पूजा सामग्री पर जल छिड़क कर निम्न मंत्र का उच्चारण करें:

मंत्र:
“ॐ गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि! सरस्वति!।
नर्मदे! सिन्धु कावेरि! जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।“

घृत दीप (दीपक) पूजन
घृत दीप प्रज्वलित करने की विधि:
पूजा पात्र में घी का दीपक रखें और दीपक को पूजित करें। दीपक से वातावरण में दिव्य ऊर्जा का संचार होता है।

मंत्र:
“ॐ अग्निर्ज्योतिर्ज्योतिरग्निः स्वाहा सूर्यो ज्ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा।
अग्निर्व्वर्च्चो ज्ज्योतिर्व्वर्च्चः स्वाहा सूर्योव्वर्चोज्ज्योतिर्व्वर्च्चः स्वाहा।“

अर्थ: हे अग्नि देवता! आप इस दीप में विराजमान होकर पूजा स्थल को अपने प्रकाश से आलोकित करें और हर प्रकार के विघ्न का नाश करें।

शंख पूजन
विधि:
शंख को चन्दन से लेप कर भगवान की वायीं ओर रखें और पूजन करें।

मंत्र:
“ॐ शंखं चन्द्रार्कदैवत्यं वरुणं चाधिदैवतम्।
त्रैलोक्ये यानि तीर्थानि वासुदेवस्य चाज्ञया।
शंखे तिष्ठन्ति वै नित्यं तस्माच्छंखं प्रपूजयेत्।“

घंटा पूजन
विधि:
घंटे को पूजित कर पूजा स्थल पर रखें। घंटा बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और शुभ ऊर्जा का प्रवाह होता है।

मंत्र:
“ॐ सर्ववाद्यमयीघण्टायै नमः,
आगमार्थन्तु देवानां गमनार्थन्तु रक्षसाम्।
कुरु घण्टे वरं नादं देवतास्थानसन्निधौ।“

गणपति और गौरी पूजन
1. भगवान गणेश का ध्यान एवं आवाहन:
पूजन के लिए भगवान गणेश का ध्यान करके उनका आह्वान करें। गणेश जी की मूर्ति के समक्ष पुष्प अर्पित करें। उनके आवाहन से पूजा निर्विघ्न एवं सफल होती है।

मंत्र:
“गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्भूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥”

2. भगवती गौरी का ध्यान एवं आवाहन
गणेश जी के बगल में माता गौरी की प्रतिमा स्थापित कर उनका आवाहन करें। माता गौरी का आवाहन जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। पूजा में उनकी उपस्थिति शक्ति और सौभाग्य प्रदान करती है।

मंत्र:
“नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्॥”

भगवान गणेश और माता गौरी का दुग्ध (दूध) से स्नान कराएं। दूध शुद्धता और सौम्यता का प्रतीक होता है।

मंत्र:
“ॐ पयः पृथ्वियां पय औषधीषु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयो धाः।
पयस्वतीः प्रदिशः सन्तु मह्यम्॥”

दधि (दही) स्नान
दही से स्नान कराने से देवताओं की शक्ति और उन्नति बढ़ती है। दही में शीतलता होती है जो प्रसन्नता और शांति का प्रतीक है।

मंत्र:
“ॐ दधिक्राव्णो अकारिषं जिष्णोरश्‍वस्य वाजिनः।
सुरभि नो मुखाकरत्प्राण आयूषि तारिषत्॥”

घृत (घी) स्नान
घी से स्नान कराने से देवता की देह में दिव्यता का संचार होता है। यह शक्ति और आंतरिक तेज का प्रतीक है।

मंत्र:
“ॐ घृतं मिमिक्षे घृतमस्य योनिर्घृते श्रियो घृतम्वस्य धाम।
अनुष्वधमावह मादयस्व स्वाहाकृतं वृषभ वक्षि हव्यम्॥”

मधु (शहद) स्नान
शहद से स्नान कराने से देवताओं के प्रति मधुरता और प्रेम का संचार होता है। मधु स्नान से भगवान प्रसन्न होकर भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

मंत्र:
“ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरन्ति सिन्धवः।
माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः॥”

“शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च।
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्।”

आरती
भगवान गणेश और माता गौरी की आरती करें। आरती करने से वातावरण में दिव्य ऊर्जा का प्रवाह होता है और भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मंत्र:
“कदलीगर्मसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्।
आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव॥”

पुष्पांजलि
अंत में भगवान गणेश और माता गौरी को पुष्पांजलि अर्पित करें। पुष्पांजलि भगवान के प्रति श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।

मंत्र:
“नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद्भवानि च।
पुष्पाञ्जलिर्मया दत्ता गृहाण परमेश्‍वर॥”

इस प्रकार से गणेश और गौरी पूजन विधिपूर्वक पूर्ण होती है। इस पूजा से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।

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