दुर्गा पूजन विधि दुर्गा पूजन विधि में हम माँ दुर्गा की उपासना करके अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और सुख-शांति का आह्वान करते हैं। यह विधि सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से सम्पन्न की जाती है, जिसमें विभिन्न अनुष्ठानों और मंत्रों के माध्यम से माँ दुर्गा का आह्वान किया जाता है।
दुर्गा पूजन विधि
दुर्गा पूजन विधि में हम माँ दुर्गा की उपासना करके अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और सुख-शांति का आह्वान करते हैं। यह विधि सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से सम्पन्न की जाती है, जिसमें विभिन्न अनुष्ठानों और मंत्रों के माध्यम से माँ दुर्गा का आह्वान किया जाता है।

1. माता दुर्गा का ध्यान
सबसे पहले माता दुर्गा का ध्यान करें:
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
हे माता दुर्गा! आप समस्त कल्याणों की दाता हैं, समस्त कार्यों को सिद्ध करने वाली हैं। आपकी शरण में आने वाले भक्तों की रक्षा करने वाली हैं। आपको बार-बार प्रणाम है।
2. नवार्ण मंत्र की विधि
विनियोग:
ॐ अस्य श्रीनवार्णमन्त्रस्य ब्रह्मविष्णुरुद्रा ऋषयः, गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छंदः, श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वत्यो देवता, ऐं बीजं, ह्नीं शक्ति, क्लीं कीलकं, श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वतीप्रीत्यर्थे न्यासे पूजने च विनियोगः।
यह मंत्र महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के आह्वान और पूजन के लिए नियोजित है।
3. ऋष्यादिन्यास
नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए सिर, मुख, हृदय, गुप्त स्थान, पैर और नाभि का स्पर्श करें:
ब्रह्मविष्णुरुद्र ऋषिभ्यो नमः शिरसि। गायत्र्युष्णिग-गनुष्टुपछंदोभ्यो नमः मुखे। महाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वती देवताभ्यो नमः हृदि। ऐं बीजाय नमः गुह्ये। ह्वीं शक्तये नमः पादयोः। क्लीं कीलकाय नमः नाभौ।
इस मंत्र के माध्यम से महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती की कृपा का आह्वान करते हैं।
4. करन्यास
मंत्र का उच्चारण कर अंगूठे, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठिका अंगुलियों और हथेलियों का स्पर्श करें:
ॐ ऐं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः। ॐ ह्नीं तर्जनीभ्यां नमः। ॐ क्लीं मध्यमाभ्यां नमः। ॐ चामुण्डायै अनामिकाभ्यां नमः। ॐ विच्चे कनिष्ठिकाभ्यां नमः। ॐ ऐं ह्नीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे करतल-करपृष्ठाभ्यां नमः।
यह विधि सभी अंगों को पवित्र बनाती है ताकि पूजा निष्कलंक और पवित्र हो।
5. हृदयादिन्यास
हृदय, सिर, शिखा, कवच, नेत्रत्रय और अस्त्र का ध्यान कर निम्न मंत्रों का उच्चारण करें:
ॐ ऐं हृदयाय नमः। ॐ ह्नीं शिरसे स्वाहा। ॐ क्लीं शिखायै वषट्। ॐ चामुण्डायै कवचाय हुम्। ॐ विच्चे नेत्रत्रयाय वौषट्। ॐ ऐं ह्नीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे अस्त्राय फट्।
यह विधि हमारी रक्षा और सफलता के लिए देवी दुर्गा के पूर्ण आशीर्वाद का आह्वान करती है।
रूपमन्नाद्यम् ।
पंचामृत अर्पित कर देवी को आनंदित किया जाता है और उनकी कृपा का आह्वान किया जाता है।
14. आचमन
आचमन के लिए जल समर्पित करते हुए मंत्र पढ़ें:
आचम्यतां त्वया देवी भक्तिं मे ह्यचलां कुरु ।
आचमन से पूजा स्थल की पवित्रता को स्थापित किया जाता है।
15. स्नान
स्नान कराते हुए देवी का ध्यान करें और निम्न मंत्र पढ़ें:
ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
यह स्नान मंत्र देवी को पवित्रता और सुख का प्रतीक बनाता है।
16. पञ्चामृत स्नान
पञ्चामृत स्नान कराते हुए मंत्र पढ़ें:
ॐ पञ्च नद्यः सरस्वतीमपियन्ति सस्रोतसः ।
पंचामृत स्नान से देवी को विशेष सम्मान और सुख प्रदान किया जाता है।
17. शुद्धोदक स्नान
देवी को शुद्ध जल से स्नान कराएं और मंत्र पढ़ें:
ॐ शुद्धबालः सर्वशुद्धबालो मणिवालः तः।
शुद्ध जल स्नान से देवी को पवित्रता और शक्ति का आह्वान किया जाता है।
18. वस्त्र अर्पण
मंत्र के साथ वस्त्र अर्पित करें:
ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्म वरूथमाऽसदत्स्वः।
यह वस्त्र अर्पण मंत्र देवी को सम्मान और सुख का प्रतीक है।
19. आभूषण अर्पण
देवी को आभूषण समर्पित करते हुए मंत्र पढ़ें:
ॐ मनसः काममाकृति वाचः सत्यमशीमहि।
आभूषण से देवी का सिंगार कर उन्हें श्रद्धा और प्रेम से समर्पित किया जाता है।
20. दीप अर्पण
मंत्र पढ़कर दीप जलाएं और देवी के समक्ष रखें:
ॐ चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यः अजयतः।
दीप प्रज्ज्वलित कर देवी को प्रकाश और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
21. नैवेद्य
नैवेद्य समर्पित करते हुए मंत्र पढ़ें:
ॐ आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् ।
नैवेद्य अर्पण से देवी का स्वागत और प्रसाद का आह्वान किया जाता है।
22. आरती
दीप से आरती करते हुए मंत्र पढ़ें:
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
आरती से देवी को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ प्रणाम किया जाता है।
23. पुष्पाञ्जलि
देवी को पुष्पांजलि अर्पित करें और निम्नलिखित मंत्र पढ़ें:
ॐ वज्ञेन वज्ञमयन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
पुष्पांजलि अर्पित कर देवी से आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना की जाती है।
24. प्रदक्षिणा
देवी की प्रदक्षिणा करते हुए निम्न मंत्र पढ़ें:
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिणपदे पदे॥
प्रदक्षिणा से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
25. प्रणाम
अंत में देवी को प्रणाम करते हुए निम्नलिखित मंत्र पढ़ें:
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः।
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ॥
यह मंत्र देवी दुर्गा को प्रणाम कर आशीर्वाद और शांति की प्राप्ति की कामना करता है।
26. क्षमाप्रार्थना
यदि पूजा में कोई त्रुटि हो तो देवी से क्षमा मांगें:
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि॥
देवी से क्षमा मांगते हुए उनसे यह प्रार्थना करें कि हमारी पूजा स्वीकार करें।
इस प्रकार संपूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ दुर्गा पूजन की विधि सम्पन्न होती है