दशहरा की पौराणिक कथा

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दशहरा की पौराणिक कथा

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है। यह अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व के पीछे दो प्रमुख कथाएं हैं—एक भगवान राम से जुड़ी हुई है और दूसरी माँ दुर्गा से।

🏹 1. भगवान श्रीराम और रावण का युद्ध

💠 पृष्ठभूमि:

लंका के राजा रावण ने भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम की पत्नी सीता माता का हरण कर लिया था और उन्हें बलपूर्वक लंका ले गया। राम अपने भाई लक्ष्मण, भक्त हनुमान, और वानर सेना की सहायता से सीता को वापस लाने के लिए लंका की ओर प्रस्थान करते हैं।

⚔️ युद्ध का आरंभ:

राम और रावण के बीच घमासान युद्ध होता है। यह युद्ध कई दिनों तक चलता है।

रावण एक महान योद्धा, शिवभक्त और ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त राक्षस था जिसे कोई भी देवता या राक्षस नहीं मार सकता था।

युद्ध के दौरान भगवान राम को ज्ञात होता है कि रावण की मृत्यु केवल तभी संभव है जब उसकी नाभि में तीर मारा जाए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

राम ने विभीषण (रावण के भाई) की सहायता से रावण की मृत्यु का रहस्य जाना।

दशमी के दिन, राम ने रावण को युद्ध में पराजित कर उसकी नाभि में बाण मारकर उसका वध किया।

इसी दिन को “विजयादशमी” कहा गया, जिसका अर्थ है – “विजय की दसवीं तिथि”।

🙏 सीता की वापसी:

रावण के वध के बाद राम ने सीता को अग्निपरीक्षा के बाद वापस स्वीकार किया।

इसके बाद वे अयोध्या लौटे और वहाँ दीपावली का पर्व मनाया गया।

 

🛡️ 2. माँ दुर्गा और महिषासुर की कथा (नवरात्रि से जुड़ी)

🌑 पृष्ठभूमि:

महिषासुर नामक राक्षस को ब्रह्मा से वरदान मिला था कि कोई पुरुष या देवता उसे नहीं मार सकता।

वह वरदान के बल पर स्वर्ग पर आक्रमण कर देता है और देवताओं को पराजित कर देता है।

🔱 माँ दुर्गा का प्राकट्य:

देवताओं ने मिलकर एक स्त्री शक्ति का निर्माण किया—माँ दुर्गा।

उन्होंने माँ दुर्गा को अत्यंत शक्तिशाली शस्त्र दिए।

माँ दुर्गा ने 9 दिनों तक महिषासुर से भयंकर युद्ध किया।

🐂 महिषासुर वध:

दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया।

इस दिन को भी “विजयादशमी” के रूप में मनाया जाता है – बुराई पर शक्ति की जीत।

 

🔥 दशहरा का सांस्कृतिक रूप:

इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण की विशाल पुतलियाँ बनाई जाती हैं।

राम की तरह सजे कलाकार बाण चलाकर इन पुतलों का दहन करते हैं।

यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है।

 

📚 दशहरा का संदेश:

“अधर्म चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः धर्म की ही विजय होती है।

 

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