इस साल 21 जून 2025 का दिन बेहद

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इस दिन योगिनी एकादशी और साल का सबसे बड़ा दिन एकसाथ है. साल के सबसे बड़े दिन से योगिनी एकादशी का महासंयोग 19 साल के बाद हो रहा है. इससे पहले ऐसा शुभ योग साल 2006 में बना था. वहीं योगिनी एकादशी के अगले दिन बुध भी राशि परिवर्तन कर रहे हैं

 

साल का सबसे लंबा दिन

21 जून को सूर्य जल्दी उदय होगा और देर से अस्त होगा. करीब 14 घंटे का दिन रहते हैं. यह केवल खगोलीय घटना नहीं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष महत्वपूर्ण माना गया है. इस बार 19 साल बाद योगिनी एकादशी और साल का सबसे बड़ा दिन एक ही दिन बन रहा है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

तुला राशि – योगिनी एकादशी से तुला राशि वालों के मौज के दिन शुरू होंगे. आपके करियर को लंबा उछाल मिलेगा. प्रमोशन के साथ पैसों में भी वृद्धि होने के योग हैं. विदेश में काम करने वालों को उन्नति के कई अवसर मिलेंगे.

मिथुन राशि – योगिनी एकादशी मिथुन राशि वालों के लिए बेहद लकी साबित होगी.परिवार में खुशियों का माहौल होगा, पार्टनर के आपको स्पेशल गिफ्ट् मिल सकता है. आपके कार्य से लोग बेहद प्रभावित होंगे, आपकी छवि लोगों को आकर्षित करेगी. पैतृक संपत्ति से आपको विशेष लाभ मिलेगा. रिश्तों में मधुरता आएगी. कारोबार में नई डील मिल सकती है.

कुंभ राशि – नौकरी में आपका प्रदर्शन आपको नए आयाम तक पहुंचाएगा. पैसे से लेकर पहचान तक आपको सुख मिलेगा. मार्केट में साख बढ़ेगी. काम में मेहनत रंग लगाएंगी. पुरानी बीमारी से राहत मिलेगी.

धनु राशि – आने वाला समय आपके लिए अच्छे दिन लेकर आ रहा है. आप हर चुनौती का सामना कर सकेंगे. मेहनत का पूरा लाभ मिलेगा, मन प्रसन्न रहेगा. सैलरी बढ़ सकती है. नए ऑफर भी मिल सकते हैं.

एकादशी” का अर्थ होता है “ग्यारहवाँ दिन”। यह हर हिंदू चंद्र मास के शुक्ल पक्ष (पूर्णिमा की ओर बढ़ते चंद्रमा) और कृष्ण पक्ष (अमावस्या की ओर घटते चंद्रमा) का ग्यारहवां दिन होता है।

👉 यानी हर महीने दो एकादशियाँ होती हैं — एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में।
👉 वर्ष में कुल 24 सामान्य एकादशियाँ होती हैं और अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) में 26 हो सकती हैं।

1. भगवान विष्णु को समर्पित दिन:
एकादशी व्रत विशेष रूप से भगवान श्रीविष्णु को समर्पित होता है।
इस दिन उनका पूजन, व्रत और जाप करके साधक को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

2. पापों का नाश:
पुराणों के अनुसार, एकादशी व्रत रखने से सात जन्मों के पापों का नाश हो जाता है।
“पद्म पुराण” और “विष्णु पुराण” में एकादशी व्रत की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है।

3. पितरों को शांति:
कई एकादशियाँ (जैसे इंदिरा एकादशी) पितरों की मुक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं।

 

🧠 आध्यात्मिक और मानसिक लाभ:

1. मन की शुद्धि:
उपवास और ध्यान से मन शांत होता है और साधक आत्मा की ओर उन्मुख होता है।

2. संयम और साधना:
एकादशी संयम और आत्मनियंत्रण का प्रतीक है। यह व्रत शरीर और आत्मा को संयमित करता है।

 

 

🌿 विज्ञान के अनुसार एकादशी व्रत का महत्व:

1. पाचन तंत्र को विश्राम:
हर 11वें दिन उपवास करने से डाइजेस्टिव सिस्टम को आराम मिलता है, जिससे शरीर में विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।

2. मानसिक स्पष्टता:
उपवास और ध्यान से मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ती है, और स्ट्रेस हार्मोन कम होते

हैं।

 

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