Gupt Navratri 2025: 25 या 26 जून, कब शुरू होगी गुप्त नवरात्र? भूलकर भी न करें ये काम
गुप्त नवरात्र का पर्व सनातन धर्म में बहुत शुभ माना जाता है जो मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। इस दौरान (Gupt Navratri 2025) देवी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और रोग-दोष दूर होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल गुप्त नवरात्र कब शुरू होगी? आइए उसकी सही डेट जानते हैं जो इस प्रकार है।
सनातन धर्म में नवरात्र का पर्व बहुत शुभ माना जाता है। यह मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। गुप्त नवरात्र को तंत्र-मंत्र और गुप्त सिद्धियों के लिए विशेष माना जाता है। इस दौरान देवी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहते हैं कि इस दौरान कठिन उपवास करने से सभी तरह के रोग-दोष दूर होते हैं।
वहीं, इस साल इसकी सही डेट को लेकर लोगों के मन में थोड़ी कन्फ्यूजन है, तो आइए यहां इसकी सही डेट जानते हैं, जो इस प्रकार है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, गुरुवार 25 जून को शाम 04 बजे से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 26 जून को दोपहर 01 बजकर 24 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए 26 जून से गुप्त नवरात्र शुरू होगी। गुप्त नवरात्र का पर्व सनातन धर्म में बहुत शुभ माना जाता है जो मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। इस दौरान (Gupt Navratri 2025) देवी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और रोग-दोष दूर होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल गुप्त नवरात्र कब शुरू होगी? आइए उसकी सही डेट जानते हैं जो इस प्रकार है।
सनातन धर्म में नवरात्र का पर्व बहुत शुभ माना जाता है। यह मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। गुप्त नवरात्र को तंत्र-मंत्र और गुप्त सिद्धियों के लिए विशेष माना जाता है। इस दौरान देवी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहते हैं कि इस दौरान कठिन उपवास करने से सभी तरह के रोग-दोष दूर होते हैं।
वहीं, इस साल इसकी सही डेट को लेकर लोगों के मन में थोड़ी कन्फ्यूजन है, तो आइए यहां इसकी सही डेट जानते हैं, जो इस प्रकार है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, गुरुवार 25 जून को शाम 04 बजे से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की
शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 26 जून को दोपहर 01 बजकर 24 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए 26 जून से गुप्त नवरात्र शुरू होगी।
गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि और नौ रूपों की उपासना (पूर्णतः हिंदी में)
🔷 आवश्यक सामग्री:
कलश (तांबे, पीतल या मिट्टी का)
नारियल, आम के पत्ते
लाल कपड़ा
चावल, रोली, हल्दी, फूल, दीपक, घी, कपूर
माता की तस्वीर या मूर्ति
भोग (प्रतिदिन अलग प्रकार का)
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🔱 प्रथम दिन (26 जून) – माँ शैलपुत्री
भोग: देसी घी और सफेद फूल
मंत्र:
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”
विशेष: माँ शैलपुत्री को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। घी से दीपक जलाएँ।
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🔱 दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी
भोग: मिश्री और दूध
मंत्र:
“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”
विशेष: यह दिन तप और संयम का प्रतीक है। माँ को शुद्ध जल अर्पित करें।
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🔱 तीसरा दिन – माँ चंद्रघंटा
भोग: दूध से बनी मिठाई या खीर
मंत्र:
“ॐ देवी चंद्रघण्टायै नमः”
विशेष: माँ के स्वरूप में घंटे की ध्वनि बुरी शक्तियों को दूर करती है।
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🔱 चौथा दिन – माँ कूष्मांडा
भोग: मालपुआ या मिश्री
मंत्र:
“ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः”
विशेष: माँ ब्रह्मांड की रचयिता मानी जाती हैं। दीयों से घर रोशन करें।
🔱 पाँचवां दिन – माँ स्कंदमाता
भोग: केले और दूध
मंत्र:
“ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः”
विशेष: यह दिन ज्ञान और बाल सुख की प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ है।
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🔱 छठा दिन – माँ कात्यायनी
भोग: शहद और मिश्री
मंत्र:
“ॐ देवी कात्यायन्यै नमः”
विशेष: माँ कात्यायनी विवाह और इच्छा पूर्ति की देवी हैं।
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🔱 सातवां दिन – माँ कालरात्रि
भोग: गुड़ और नारियल
मंत्र:
“ॐ देवी कालरात्र्यै नमः”
विशेष: माँ का यह स्वरूप नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
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🔱 आठवां दिन – माँ महागौरी
भोग: खीर और पूड़ी
मंत्र:
“ॐ देवी महागौर्यै नमः”
विशेष: माँ महागौरी से शांति और सुंदरता की प्राप्ति होती है।
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🔱 नवां दिन – माँ सिद्धिदात्री
भोग: तिल और हलवा
मंत्र:
“ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः”
विशेष: माँ सभी सिद्धियों को देने वाली देवी हैं।
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🌿 गुप्त नवरात्रि के नियम:
1. ब्रह्मचर्य का पालन करें (शुद्धता और संयम).
2. प्रतिदिन सुबह और संध्या को देवी का ध्यान करें।
3. देवी के सामने दीपक जलाकर आरती करें।
4. दुर्गा सप्तशती, चंडी पाठ, या देवी कवच का पाठ करें।
5. यदि संभव हो तो एकांत में जप, ध्यान या मंत्र साधना करें।
6. किसी गुरु के मार्गदर्शन में तांत्रिक साधनाएं करें।